दोस्तों हमारे जीवन में मीठी वाणी का कितना प्रभाव पड़ता है ,यह हम सभी जानते हैं। फिर कभी कभार गुस्से में या आवेश में आकर हम अनुचित या अभद्र शब्द का प्रयोग कर जाते हैं। इससे सिर्फ व् सिर्फ हमारा ही नुकशान होता है। हमें निरंतर कोशिश करते रहना चाहिए की हमारी वाणी में शालीनता ,प्यार ,मीठा एवं मधुरता होना चाहिए। दोस्तों मैं आप लोगों से एक कहानी शेयर कर रहा हूँ जिसका शीर्षक है "मधुर वाणी का फल " । इस कहानी के माध्यम से हमे यह सीख मिलती है कि हमे कैसी और किस शैली में संवाद करना चाहिए।
एक बार एक राजा ने रात्रि में स्वप्न देखा। स्वप्न में देखा कि उसके सब दाँत गिर गए हैं। प्रातः उसने दरबार में अपने एक सभासद से पूछा कि "इस स्वप्न का क्या अर्थ होता है "? सभासद ने उत्तर दिया कि "सरकार, इस स्वप्न का अर्थ यह होगा कि आपके समस्त परिजन आपके जीवन काल में ही मृत्यु को प्राप्त हो जायेंगे। "
राजा ने जब यह सुना तो उसे बड़ा क्रोध आया और उसका सिर धड़ से अलग कर देने का आदेश दे दिया। तदुपरांत उसने वही प्रश्न एक अन्य सभासद से किया। उस सभासद ने कहा कि, "सरकार आप अपने समस्त परिजन की अपेक्षा दीर्घजीवी होंगे। उसने अत्यन्त विनम्रतापूर्वक यह उत्तर दिया।"
राजा उस दूसरे सभासद के उत्तर से बड़ा आनन्दित हुआ और उसको भारी ईनाम दिया।
राजा ने जब यह सुना तो उसे बड़ा क्रोध आया और उसका सिर धड़ से अलग कर देने का आदेश दे दिया। तदुपरांत उसने वही प्रश्न एक अन्य सभासद से किया। उस सभासद ने कहा कि, "सरकार आप अपने समस्त परिजन की अपेक्षा दीर्घजीवी होंगे। उसने अत्यन्त विनम्रतापूर्वक यह उत्तर दिया।"
राजा उस दूसरे सभासद के उत्तर से बड़ा आनन्दित हुआ और उसको भारी ईनाम दिया।
दोस्तों यंहा दोनों सभासदों का मन्तव्य एक ही था परन्तु उसको प्रस्तुत करने का ढंग भिन्न था। एक में कटुता थी और दूसरे में मधुरता थी इसलिए उसके परिणाम भी कटु व मधुर रहे।
दोस्तों इसीलिए कहते हैं कि वाणी का उपयोग इस प्रकार करो कि सुनने वाले को बुरा न लगे, उसे किसी प्रकार का दुःख न पहुँचे। अनुकूल वाणी मित्रों की सृष्टि करती है और प्रतिकूल वाणी अकारण शत्रु तैयार करती है।
दोस्तों मधुर वाणी का क्या महत्त्व है , इसे निचे दोहों से रेखांकित किया गया है।
अतः हम सबको जीवन में सदा मधुरवाणी का ही प्रयोग करना चाहिए।
दोस्तों इसीलिए कहते हैं कि वाणी का उपयोग इस प्रकार करो कि सुनने वाले को बुरा न लगे, उसे किसी प्रकार का दुःख न पहुँचे। अनुकूल वाणी मित्रों की सृष्टि करती है और प्रतिकूल वाणी अकारण शत्रु तैयार करती है।
दोस्तों मधुर वाणी का क्या महत्त्व है , इसे निचे दोहों से रेखांकित किया गया है।
कागा किसका धन हरे, कोयल क्या कुछ देत।
मीठे वचन सुनाय के, जग अपनो कर लेत।।
ऐसी वाणी बोलिये, मन का आपा खोय।
औरन को शीतल करे, आपहुं शीतल होय।।
बोली एक अनमोल है, जो कोई बोलै जानि।
हिये तराजू तौलि के, तब मुख बाहर आनि।।
मीठे वचन सुहावते, और कड़वे करे आघात।
मांगीलाल मीठा कहे, बिगड़े काम बन जात।।
संकलन ऐसा कीजिये, हो हर शब्द अनमोल।
कड़वे शब्द पीड़ा करे,अरु मीठे मिश्री घोल।।
कटु सत्य कड़वे लगे, पर कहने का हो ढंग।
सत्य शूल सम नहीं चुभे, जब मीठे बोल हो संग।।
अतः हम सबको जीवन में सदा मधुरवाणी का ही प्रयोग करना चाहिए।