दोस्तों यह एक काल्पनिक कहानी है। काल्पनिक कहानियां वह होती हैं जिनका आधार कल्पना मात्र हो , ऐसी कहानियां सच्चाई से काफी दूर होती हैं। परन्तु इस काल्पनिक कहानी का सार बहुत ही अच्छी सीख देने जैसा है , इसलिए यह कहानी आप लोगों से साझा कर रहा हूँ।
एक बार एक शिकारी शिकार करने के लिए जंगल में गया। काफी दूर तक निकल जाने के बाद भी उसे शिकार नहीं मिला, थकान हुई तो वह एक वृक्ष के नीचे आकर सो गया। पवन का वेग अधिक था इसलिए वृक्ष की डालियाँ हिल रही थी जिसके कारण उस वृक्ष की छाया कभी कम-ज्यादा हो रही थी। तभी वहीं से एक अतिसुन्दर हंस उड़कर जा रहा था। उस हंस ने देखा की वह व्यक्ति (शिकारी) परेशान हो रहा हैं, धूप उसके मुँह पर आ रही हैं जा रही है जिसके कारण वह ठीक से सो नहीं पा रहा हैं। यह सब देखकर हंस को उसपर दया आयी और उसकी मदद करना चाहा। वह हंस पेड़ की डाली पर अपने पंख खोल कर बैठ गया ताकि उसकी छाँव में वह शिकारी आराम से सोयें।
तभी कुछ समय बाद ,जब वह शिकारी सो रहा था तभी एक कौआ आकर उसी डाली पर बैठा, इधर-उधर देखा और बिना कुछ सोचे-समझे शिकारी के ऊपर अपना मल विसर्जन कर के वहाँ से उड़ गया। शरीर पर मल पड़ते ही शिकारी उठ गया और गुस्से से यहाँ-वहाँ देखने लगा तभी उसकी नज़र हंस पर पड़ी और उसने तुरंत धनुष बाण निकाला और उस हंस को मार दिया।
तभी कुछ समय बाद ,जब वह शिकारी सो रहा था तभी एक कौआ आकर उसी डाली पर बैठा, इधर-उधर देखा और बिना कुछ सोचे-समझे शिकारी के ऊपर अपना मल विसर्जन कर के वहाँ से उड़ गया। शरीर पर मल पड़ते ही शिकारी उठ गया और गुस्से से यहाँ-वहाँ देखने लगा तभी उसकी नज़र हंस पर पड़ी और उसने तुरंत धनुष बाण निकाला और उस हंस को मार दिया।
हंस नीचे जमीन पर गिरा और मरते-मरते हंस ने कहा - "मैं तो आपकी सेवा कर रहा था, मैं तो आपको छाँव दे रहा था, आपने मुझे ही मार दिया। इसमें मेरा क्या दोष?"
हंस की बाते सुनकर उस शिकारी को बड़ा पश्चाताप हुआ फिर उस शिकारी ने कहा - यद्यपि आपका जन्म उच्च परिवार में हुआ, आपकी सोच आपके तन की तरह ही सुंदर हैं। आपके संस्कार शुद्ध हैं, यहाँ तक की आप अच्छे इरादे से मेरे लिए पेड़ की डाली पर बैठ मेरी सेवा कर रहे थे, लेकिन आपसे एक गलती हो गयी, की जब आपके पास कौआ आकर बैठा तो आपको उसी समय उड़ जाना चाहिए था। उस दुष्ट कौए के साथ एक घड़ी की संगत ने ही आपको मृत्यु के द्वार पर पहुंचाया हैं।
शिक्षा:- संसार में संगति का सदैव ध्यान रखना चाहिये। जो मन, कार्य और बुद्धि से परमहंस हैं उन्हें कौओं से दूरी बनायें रखना चाहिये।
हंस की बाते सुनकर उस शिकारी को बड़ा पश्चाताप हुआ फिर उस शिकारी ने कहा - यद्यपि आपका जन्म उच्च परिवार में हुआ, आपकी सोच आपके तन की तरह ही सुंदर हैं। आपके संस्कार शुद्ध हैं, यहाँ तक की आप अच्छे इरादे से मेरे लिए पेड़ की डाली पर बैठ मेरी सेवा कर रहे थे, लेकिन आपसे एक गलती हो गयी, की जब आपके पास कौआ आकर बैठा तो आपको उसी समय उड़ जाना चाहिए था। उस दुष्ट कौए के साथ एक घड़ी की संगत ने ही आपको मृत्यु के द्वार पर पहुंचाया हैं।
शिक्षा:- संसार में संगति का सदैव ध्यान रखना चाहिये। जो मन, कार्य और बुद्धि से परमहंस हैं उन्हें कौओं से दूरी बनायें रखना चाहिये।
सदैव प्रसन्न रहिये क्यूंकि जो प्राप्त है वह पर्याप्त है
🌳🦚💐🦚🌳💐🌳🦚💐🦚🌳💐🌳🦚💐🦚🌳💐🌳🦚💐🦚🌳💐