दोस्तों प्रकृति के कई ऐसे नियम है जिन्हे कोई नहीं बदल सकता। जैसे सूर्य का नियमित समय पर उदय होना और अस्त होना। समुद्र में ज्वार भाटा का आना। नियमित अंतराल पर ऋतुओं का बदलाव होना। ऐसे और भी कई नियम है जो प्रकृति अपने हिसाब से करती रहती है। ऐसे ही कुछ नियम हैं, जिनसे इंसान को अच्छी सीख भी मिलती है। आज कुछ ऐसे ही नयम को हम पढ़ने वाले हैं।
प्रकृति का पहला नियम :-
प्रकृति का पहला नियम :-
हमेशा सकारात्मक बने रहिये।
जिस प्रकार खेत में बीज न डालें जाने के बाद , प्रकृति उस खेत को घास-फूस से भर देती हैं। ठीक उसी प्रकार यदि दिमाग में सकारात्मक विचार / अच्छे विचार न भरे जाएँ तो इस दिमाग में नकारात्मक विचार अपनी जगह बना लेती है।
प्रकृति का दूसरा नियम :-
जिसके पास जो होता है, वह वही बांटता है।
जैसे -
👉सुखी व्यक्ति हमेशा सुख बांटता है।
👉दुःखी व्यक्ति हमेशा दुःख बांटता है।
👉ज्ञानी व्यक्ति ज्ञान बांटता है।
👉भ्रमित हुआ व्यक्ति सिर्फ भ्रम बांटता है।
👉भयभीत हुआ व्यक्ति भय बांटता हैं।
प्रकृति का तिसरा नियम :-
आपको जीवन में जो भी मिले, उसे पचाना सीखो।
क्योंकि -
👉भोजन न पचने पर, रोग बढते है।
👉पैसा न पचने पर, दिखावा बढता है।
👉बात न पचने पर, चुगली बढती है।
👉प्रशंसा न पचने पर, अंहकार बढता है।
👉निंदा न पचने पर, दुश्मनी बढती है।
👉राज न पचने पर, खतरा बढता है।
👉दुःख न पचने पर, निराशा बढती है।
👉सुख न पचने पर, पाप बढता है।
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