Apne aap ko kaise sudhare ? Hindi Motivational Story

हमारे भोजपुरी भाषा में एक बहुत ही प्रचलित कहावत है कि "तू सुधरी जा , त दुनिया सुधरी जाये" . इसका अर्थ आप में से बहुतों को पता होगा।  अगर नहीं पता है तो बता ही देता हूँ कि इसका अर्थ होता है कि , "पहले आप सुधर जाईये , बाकी के लोग अपने आप सुधर जायेंगे". दोस्तों जो आर्टिकल / कहानी  आप आज पढ़ा रहें हैं (Apne aap ko kaise sudhare ? Hindi Motivational Story) उसने मुझे बहुत प्रेरणा दी , इसलिए मैं यह कहानी आप लोगों से साझा कर रहा हूँ। और उम्मीद करता हूँ कि आज आप कुछ न कुछ जरूर सीख कर या प्रेरित होकर जायँगे , लेकिन हाँ !!! इस कहानी को मात्र कहानी समझकर न पढ़ना। यह सोचकर पढ़ना की सब कुछ हकीकत है। 


एक बार भगवान्  ( जिन्हे आप अल्लाह , गॉड , फादर भी कहते हैं ) एक इंसान की रचना कर रहे थे। वह इंसान जैसे ही पृथ्वी पर जाने के लिए तैयार हुआ तभी  उसके मन में कुछ प्र्श्न आया। 

उस इंसान ने भगवान् से प्रश्न किया कि "प्रभु मैं धरती पर जा रहा हूँ , लेकिन अपनी तरक्की और अपने आप को खुश कैसे रखूँगा " ?

भगवान् ने कुछ सोचा - विचारा और उस इंसान को दो पोटली दी , और कहा कि पहली पोटली को अपने आगे की तरफ लटकाना और दूसरी पोटली को अपने पीछे की तरफ लटकाना। 

उस इंसान ने ठीक वैसा ही किया। दोनों पोटलियों को एक लाठी में आगे पीछे बांध लिया ,और उसे अपने कंधे पर आगे और पीछे लटका लिया और चल पड़ा। 


भगवान् ने उसे वो पोटलियां देते हुए समझा दिया था कि " तुझे सिर्फ अपने आगे वाली पोटली पर नजर रखना है , पीछे वाली पोटली पर गलती से भी नजर मत रखना "। भगवान् ने आगे वाली पोटली में उस इंसान की कमियां और पीछे वाली पोटली में दुनिया की कमियां रखी थी। 


Apne aap ko kaise sudhare ? Hindi Motivational Story




वह इंसान अपने आगे वाली पोटली देखता , और जो कमियां उसे दिखती वह बिना संकोच , बिना किसी प्रश्न के उसे दूर करने में जुट जाता ,या यूँ कह लें कि वह अपनी कमियों को दूर करता चला गया।  इस तरह वह अपनी कमियां सुधारता गया और तरक्की करता गया। पीछे वाली पोटली को इसने नजरंदाज कर रखा था।


इसी बीच एक दिन एक तालाब में नहाने के पश्चात,दोनों पोटलियां अदल बदल हो गई।आगे वाली पीछे और पीछे वाली आगे आ गई।

अब क्या !!!!

अब उसे दुनिया की कमियां ही कमियां नजर आने लगी। ये ठीक नहीं है ,वो ठीक नहीं है । बच्चे ठीक नहीं, पड़ोसी बेकार है, सरकार निक्कमी है आदि-आदि। मिला जुलाकर उसे अब हर किसी में कुछ न कुछ कमियां दिखाई देने लगी।  अब वह खुद के अलावा सब में कमियां ढूंढने लगा।

परिणाम ये हुआ कि कोई नहीं सुधरा,पर उसका पतन होने लगा। वह चक्कर में पड़ गया कि ये क्या हुआ है? 

वह इंसान भागा - भागा वापस भगवान के पास गया। भगवान ने उसे समझाया कि जब तक तेरी नजर अपनी कमियों पर थी, तू तरक्की कर रहा था। जैसे ही तुमने  दूसरों में मीन-मेख (कमियां ) निकालने शुरू कर दिए,वहीं से तुम्हारा पतन शुरू हो गया।


सारांश :

दोस्तों !!! हकीकत यही है कि हम किसी को नहीं सुधार सकते , हम अपने आपको सुधार लें इसी में हमारा कल्याण है। हम सुधरेंगे तो जग सुधरेगा।

हम यही सोचते हैं कि सबको ठीक करके ही शांति प्राप्त होगी, जबकि खुद को कभी ठीक नहीं करते..!!

धन्यवाद !! दोस्तों कहानी को पूरा पढ़ने के लिए। उम्मीद करता हूँ कि यह कहानी आपको सचमुच अच्छी लगी होगी। अगर हाँ तो अपने कमैंट्स जरूर दें। 

दोस्तों उम्र बहुत ही छोटी है , खुश रहें और अपने परिवार , दोस्तों , एवं समाज में ख़ुशी लाएं। 





Post a Comment

Thanks for your feedback !!!

Previous Post Next Post